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मेरी पावन शिव काशी




मेरी पावन शिव काशी


शिव भावों में रंगे हुये हैं, पावन काशी के वासी;

मूल निवासी या बाहर के, सब काशी के  मृदु भाषी;

हर कंकड़ शंकर समान है,काशी की श्रद्धा है यह;

गगन लोक से नीर क्षितिज तक, मेरी पावन शिव काशी।


भावों में ही जी सकता है,हर कोई काशी वासी;

भावों को ही पा लेने को,काशी की जनता प्यासी;

भावों की जगती के रस का,केंद्र यहाँ  की वसुधा है;

भाव सिंधु के महाकाश में, मेरी पावन शिव काशी।




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2 Comments

Sachin dev

06-Jan-2023 06:09 PM

Wonderful

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Gunjan Kamal

05-Jan-2023 08:40 PM

शानदार प्रस्तुति 👌

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